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सम्मेलन का मुख्य विषय "आवर्तनशीलता ही परंपरा का आधार है" प्रस्तावित है। यह विचार मध्यस्थ दर्शन - सहअस्तित्ववाद (प्रणेता श्री एo नागराज जी अमरकंटक भारत) पर आधारित है। पूर्णता के अर्थ में मिलन ही सम्मेलन है और पूर्णता का यहां तात्पर्य तीन पूर्णताओं से है: गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता एवं आचरणपूर्णता।
गठनपूर्णता: जड़ परमाणु (भार बंधन - अणु बंधन युक्त) में विकास पूर्वक चैतन्यता का उद्भव अर्थात जड़ परमाणु में अंशों के प्रस्थापन-विस्थापन से मुक्त होना, गठन की निरंतरता (पूर्णता) होना, फलस्वरूप भार बंधन व अणु बंधन से मुक्त होकर आशा बंधन (चैतन्य बल-शक्ति संपन्न) से युक्त होना। ऐसे गठनपूर्ण परमाणु की ही जीवन की संज्ञा है। यह घटना प्रकृति प्रदत्त विधि से इस धरती पर संपन्न हो चुकी है। हमारी धरती पर ऐसा जीवन (गठनपूर्ण परमाणु) ही जीवों एवं मानव में प्रकट चैतन्यता का आधार है।
क्रियापूर्णता: मानव शरीर यात्रा क्रम में जीव चेतना वश मानव जीवन की आंशिक बल-शक्ति में जाग्रत होता है। सर्वमानव को जीवन की पूर्ण बल-शक्ति जाग्रत करने के अवसर-साधन प्राप्त हैं। सहअस्तित्व के अध्ययन-अभ्यास पूर्वक मानव जीवन की पूर्ण बल-शक्ति को जाग्रत कर लेता है और प्रमाणित करने लगता है, प्रमाण स्वरूप समाधान-समृद्धि को प्रकट करता है। इस उपलब्धि की क्रियापूर्णता की संज्ञा है। इस स्थिति में मानव जीवन ज्ञान में परिपूर्ण रहता है और चारों आयामों एवं पाँचों स्थितियों में प्रमाणित करने के क्रम में रहता है।
आचरणपूर्णता: मानव जब जागृति को प्रमाणित करने के क्रम में सभी आयाम एवं स्थितियों में प्रमाणित हो जाता है तो इसकी आचरण पूर्णता संज्ञा है। ऐसे मानव जीवन में पूर्ण जीवन तृप्ति का अनुभव रहता है। आचरणपूर्ण मानव सर्वकर्म स्वानुशासन पूर्वक मानवीय परंपरा (अखण्ड समाज–सार्वभौम व्यवस्था) की स्थापना संरक्षण के अर्थ में ही करता है। आचरणपूर्ण मानव की ही दिव्य मानव संज्ञा है।
इस पूर्णता त्रय को प्रमाणित करने के अर्थ में जो मिलन है, वही सम्मेलन है। मानव में प्रमाणित होने वाली पूर्णता क्रियापूर्णता एवं आचरणपूर्णता है। लोकभाषा में क्रियापूर्णता का अर्थ समझदारी पूरा होना एवं आचरणपूर्णता का अर्थ समझदारी पूर्वक जीने में पूरा प्रमाणित होना।
अस्तित्व में समस्त क्रिया नियम पूर्वक ही है। अस्तित्व, सहअस्तित्व है। सहअस्तित्व में परस्परता है, परस्परता में आवर्तनशीलता ही नियम पूर्वक क्रिया है। आवर्तनशीलता सहअस्तित्व का स्वरूप ही है। चारों अवास्थाएँ आवर्तनशील विधि से सहअस्तित्व का प्रकटन क्रम है। पदार्थावस्था, प्राणावस्था, जीवावस्था एवं ज्ञानावस्था चारों में उदभव उदातिकरण क्रिया से और विभव परंपरा विधि से है।
मानव परंपरा में दो भाग हैं, एक मानव शरीर परंपरा, दूसरा मानव ज्ञान परंपरा। मानव शरीर परंपरा इस धरती पर प्रकट है, लेकिन ज्ञान परंपरा अभी पूर्ण नहीं है। मानव परंपरा में जीवन ज्ञान, सहअस्तित्व दर्शन ज्ञान एवं मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान को स्थापित कर चारों आयामों (कार्य, व्यवहार, विचार, अनुभव) एवं पाँचों स्थितियों (व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, अंतरराष्ट्र) में आवर्तनशीलता को पहचानना और निर्वाह करना अभी शेष है।
इस आवर्तनशीलता को जानने, मानने, पहचानने एवं निर्वाह करने के अर्थ में यह जीवन विद्या सम्मेलन आयोजित है। जिसमें निम्न बिंदुओं को सम्मेलन में चिंतन-मनन के लिए अभी तक पहचाना गया है-
एक दूसरे के प्रयोग एवं प्रयासों का सम्मान करना, प्रोत्साहन देना और पूरक बनना ही सम्मेलन की सफलता है।
सन् 2010 के,जीवन विद्या के 15 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद,इस जगह को, जहां बाबा जी ने श्री मुख से वैश्विक व्यवस्था के स्पष्ट प्रारूप की चर्चा की थी, उनके स्मरण और संकल्प को बनाए रखने हेतु इस केंद्र की स्थापना हुई। इसमें एक काम श्रद्धेय बाबा जी के मार्गदर्शन में "मानवता के इतिहास"(किसानी का इतिहास) को क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया.चूंकि किसानों के मध्य में यह काम करना था तो इसको चित्रात्मक (पिक्टोरियल) प्रदर्शनी एवं म्यूजियम बनाया गया, जिससे अनपढ़ किसान भी आसानी से समझ सके। दूसरा काम संतुलन,न्याय एवं आवर्तनशीलता के सार्वभौम सिद्धांतों पर आधारित आवर्तनशील खेती विकसित की गई और उसके प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित इस संस्थान में ,पहले ही वर्ष सात देशों के किसानों की उपस्थिति में इस केंद्र का नाम ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर चयन किया गया ।
इस स्थल में स्थित मानवता के इतिहास का उद्घाटन अप्रैल 2013 को परम श्रद्धेय बाबा जी ने श्री साधन भैया,श्री राम भैया, आतिशी जी,श्री कामराज जी आदि की उपस्थिति में किया। तब से यहां 31 देशों सहित भारत के लगभग सभी क्षेत्रों से हजारों किसान देखने समझने हेतु आए हैं और जीने के लिए संकल्पित हुए है और तभी से श्री अशोक गोपाला भैया जी द्वारा प्रतिवर्ष जीवन विद्या के शिविर भी आयोजित हो रहे हैं।
परम श्रद्धेय पूज्य बाबा जी (श्री ए नागराज जी) का ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट में पहली बार 1992 फ़रवरी माह में श्री नाना जी देशमुख एवं तत्कालीन वाइस चांसलर श्री राज नारायण कपूर जी के आमंत्रण पर आगमन हुआ था। वहां उनके आने का प्रयोजन शिक्षा विभाग एवं ग्राम विकास विभाग का पाठ्यक्रम बनाना और ग्रामोदय विश्वविद्यालय को सही अर्थों में ग्रामोदय की दिशा में चलने के लिए मार्गदर्शन देना था। वहीं पहली बार बाबा जी से भेंट हुई थी। बाबा जी को ग्रामोदय द्वारा किए जा रहे, कराए जा रहे ग्राम विकास के कार्यों को दिखाने के लिए राजोला ग्राम लेकर जाना मेरी(प्रेम सिंह) जिम्मेदारी थी, साथ में श्री राजेश सिन्हा जी एवं अनेक विद्यार्थी भी थे।
सन् 1994 में गोविंदपुर, बिजनौर में विधिवत शिविर हुआ और तत्पश्चात् बाबा जी के सान्निध्य में धामपुर, बलिया, बिहार, अमेठी आदि अनेक प्रवासों में लगातार साथ रहना हुआ और बाद में कई महीनों के लिए अमरकंटक में बाबाजी एवं उनके परिवार के साथ रहना हुआ। इसी क्रम में बाबा जी पहली बार बड़ोखर खुर्द बाँदा (प्रेम सिंह की जन्मस्थली एवं कर्मभूमि) में 25 मार्च 1995 में पधारे थे। उनका आगमन बिना किसी पूर्व सूचना के था लेकिन मेरे लिए बहुत ही उत्साह वर्धक एवं हर्षित करने वाला रहा।
1 जनवरी 1996 के दिन बाबा जी पूर्व योजना अनुसार परम श्रद्धेय माता जी के साथ पधारे उनसे मिलने के लिए गांव एवं आसपास के क्षेत्र से सैंकड़ो लोग मिलने आए। बाबा जी ने बड़ोखर खुर्द गांव में परिवार मूलक ग्राम स्वराज के लिए एक अभियान चलाया इस अभियान में सर्वप्रथम गांव के समस्त बुजुर्ग जो 60 वर्ष से अधिक की आयु के थे, के साथ 1 वर्ष तक लगातार उन्हीं के मध्य शिविर ,वार्तालाप, अनुमति और सहमति के लिए प्रयास किया। 1 वर्ष बाद युवाओं के विभिन्न शिविर आयोजित किए। इन शिविरों में गांव के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र एवं बांदा शहर के लोग भी भागीदार होते रहे। यह प्रक्रिया निरंतर दो वर्ष तक चली।
1 जनवरी 1998 में बाबा जी ने उस समय के जितने वरिष्ठ अध्येता थे जिनमें स्व श्री रामजी भाई, श्री रण सिंह आर्य जी, आदरणीय बागड़िया जी, श्री अवधेश श्रीवास्तव भैया जी, आदरणीय नरेंद्र मिश्रा जी, आदरणीय साधन भैया जी, आदरणीय सिंधू काका जी आदि की उपस्थिति में स्थानीय लोगों के साथ पहला अनुभव शिविर लगाया। जिसमें प्रतिवर्ष अनुभव शिविर बड़ोखर में ही हो इस बात के लिए आग्रह किया।
सन् 1998 के बाद परिवार शिविर शुरू हुए। इन परिवार शिविरों में बाबा जी के साथ आदरणीय गणेश बगड़िया जी, साधन भैया जी के सहित उस समय के अन्य अनेक अध्येताओं ने सक्रिय भागीदारी की गांव के हर घर में परिवार शिविरों के आयोजन किए जाने लगे और यह क्रम लगातार सन् 2000 तक चला। सन् 2010 में 15 वां जीवन विद्या सम्मेलन बाबा जी के हस्तक्षेप से बड़ोखर खुर्द (बांदा) में इसी स्थली (प्रेम की बगिया) में आयोजित हुआ, जिसमें पूरे देश से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भागीदारी की।
सन् 2011 से ही आवर्तनशील खेती की विधा में काम शुरू हुआ। आवर्तनशील खेती, प्राकृतिक असंतुलन और कर्ज बढ़ाने वाली खेती एवं लोभ और लाभ के दुष्चक्र से मुक्त कर प्राकृतिक संतुलन और समृद्धि में स्थापित करने की दृष्टि से किसानों के मध्य की जाने वाली एक प्रायोगिक पहल है। मध्यस्थ दर्शन आधारित आवर्तनशील खेती की विश्व में पहचान बनी।
आवर्तनशील खेती के पहले शिविर में सात राष्ट्रों के लोग सम्मिलित हुए। आवर्तनशील खेती के शिविर के दार्शनिक आधार को समझने के लिए विदेशी प्रतिभागियों के लिए अंग्रेज़ी में जीवन विद्या शिविर का आयोजन हुआ जिसको श्री अशोक गोपाला जी ने संबोधित किया। तब से लेकर आज तक जीवन विद्या शिविरों की प्रक्रिया निरंतर बनी हुई है। 2024 से अब प्रतिवर्ष दो जीवन विद्या के शिविर एवं आवर्तनशील खेती के 15 से 20 शिविर आयोजित होते हैं।
सन् 2013 में बाबा जी यहां आखिरी बार आए जिसमें बगिया में ही स्थित ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर में हिस्ट्री आफ ह्यूमैनिटी अर्थात मानवता का इतिहास का अवलोकन किया एवं विधिवत उद्घाटन किया। इस समय साधन भैया, श्री राम भैया, आतिशी जी आदि भी साथ रहे।
एक और प्रभाव बाबा जी के इस गांव में आने का यह हुआ कि यह गांव जो पहले लड़ाई-झगड़ा और बंदूक से भरा हुआ था, बाबा जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से शनै:-शनै: इन विषमताओं से बाहर आ गया। 1999 के बाद से इस गांव में कोई लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ है और ना ही अब यहाँ कोई बंदूके आदि लेकर चलता है। आज भी गांव में बाबा जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास यथावत बना हुआ है।
इस स्थान और गांव को बाबा जी का मार्गदर्शन रूपी आशीर्वाद मिला। बाबा जी 30 से अधिक बार यहाँ आकर इसको पुण्य भूमि बनाया। जिसका प्रभाव आज भी दृष्टव्य है। 2010 के सम्मेलन में भी पूरे गांव के लोगों ने सक्रिय भागीदारी करके आवास और भोजन आदि की व्यवस्था की थी। इस जीवन विद्या सम्मेलन 2025 में भी इनकी सक्रिय भागीदारी यथावत उपलब्ध है, यह बाबा जी के प्रताप से ही संभव हो पाया है।
आवर्तनशील खेती, आवर्तनशील अर्थशास्त्र (मध्यस्थ दर्शन) पर आधारित सहअस्तित्ववादी खेती की विधा है। आवर्तनशील खेती, प्राकृतिक संतुलन एवं सामाजिक संतुलन को बनाती हुई तृप्ति पूर्वक जीने का स्वरूप है।
आवर्तनशील खेती के तीन स्तंभ हैं...
1. संतुलन
2. न्याय3. आवर्तनशीलता
आवर्तनशील खेती के 6 व्यावहारिक कदम हैं...
1. खेत में लगने वाले पानी के अनुपात में तालाब।
2. खेत के एक तिहाई हिस्से में वन बाग की खेती करना।
3. खेत के दूसरे तिहाई हिस्से में पशुपालन व चारागाह विकसित करना और विभिन्न प्रकार की कम्पोस्ट खादें बनाना।
4. खेत के तीसरे तिहाई हिस्से में परिवार के लिए आवश्यकता अनुसार उत्पादन करना।
5. उपयोग से बचे हुए उत्पाद की प्रोसेसिंग करना (प्रसंस्करण करना)।
6. अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा अपने समाज अथवा गाँव की शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, रोजगार आदि से वंचित लोगों के सहयोग में लगाना।
अब तक आवर्तनशील खेती के 200 से ज्यादा शिविर हो चुके हैं व 31 देशों के लोग इसको समझने आ चुके हैं, व देश के लगभग 10000 किसान आवर्तनशील से लाभांवित हो चुके हैं। आवर्तनशील खेती का शिविर प्रत्येक माह लगाया जाता है जो कि 4 या 5 दिन का आवासीय शिविर होता है।
इस प्रकार, यह खेत न केवल पारिवारिक आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि सामाजिक और प्राकृतिक दायित्वों को भी निर्वाह करता है और एक किसान राष्ट्रीय कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है।
वर्तमान में यह शिविर आवर्तनशील खेती एवं फार्म डिजाइनिंग के नाम से ऑर्गेनाइज किया जाता है।
यह सम्मेलन समाजिक सहभागिता के साथ आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम सम्बंधित – जीवन विद्या सम्मलेन 2025 कार्यक्रम से सम्बंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
संपर्क सूत्र :- जीतेन्द्र भैया - 09277434789,आशीष भैया - 08429599126
चार दिवसीय कार्यक्रम – कृपया कार्यक्रम से सम्बंधित अपने सुझाव jvsammelan2025@gmail.com पर भेजें।
सामान्य जानकारी:-
दिनांक- 30 अक्टूबर से 02 नवंबर 2025, संपर्क सूत्र : 9277434789, 8429599126
ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर
प्रेम सिंह की बगिया, बड़ोखर खुर्द , बाँदा, उत्तर प्रदेश
हम आधिकारिक तौर पर 1 अप्रैल, 2025 को सुबह 7:00 बजे पंजीकरण खोलेंगे। यह 30 सितंबर, 2025 को समाप्त होगा। आने वाले महीनों में कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद www.jvsammelan.com पर एक विस्तृत कार्यक्रम मार्गदर्शिका उपलब्ध होगी।
शुल्क: सम्मेलन में भागीदारी का कोई शुल्क नहीं है। जीवन विद्या सम्मेलन स्वजन (जीवन विद्या परिवार) द्वारा स्वैच्छिक भागीदारी से आयोजित किया जाता है। आयोजन में प्रतिभागियों के रहने व खाने को सहर्ष आयोजन कर्ता उपलब्ध कराते है। प्रतिभागी अपनी इच्छा अनुसार इस व्यय को वहन करने में भागीदार हो सकते हैं।
Humaine Agrarian Centre
Prem Singh Ki Bagiya,
Badokhar Khurd, Banda
Phone: +91-9277434789, 8429599126
Email: jvsammelan2025@gmail.com
ह्यूमेन एग्रेरियन सेंटर
प्रेम सिंह की बगिया,
बड़ोखर खुर्द, बाँदा
दूरभाष: +91-9277434789, 8429599126
ईमेल : jvsammelan2025@gmail.com